प्रदेश में 13 से बढ़कर 20 होगी मेडिकल कॉलेजों की संख्या, शुरू होंगे 7 नए कॉलेज
■ 13 सरकारी
मेडिकल कॉलेजों में चल रही है
पढ़ाई ■ एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़कर
हो जाएगी 5 हजार
डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले छात्र व छात्राओं के लिए नया साल एक नई उम्मीद लेकर आया है। इस वर्ष प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 13 से बढ़कर 20 होने जा रही है। सात नए मेडिकल कॉलेजों में इसी वर्ष से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अलग अलग जिलों में खुलने वाले इन नए सात मेडिकल कॉलेजों में भवन निर्माण का काम लगभग पूरा हो चुका है। प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 20 हो जाने पर एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़कर लगभग 5 हजार के करीब पहुंच जाएगी। वर्तमान में 13 सरकारी और 9 निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें एमबीबीएस सीटों की संख्या 4 हजार के करीब है। विशेषज्ञों का कहना है कि नए मेडिकल कॉलेज शुरू होने से आने वाले वर्षों में प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर होगी। बाद में इन कालेजों में एमडी एमएस कोर्स शुरू होने से प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी मिलने गया है।
5 साल बाद हर साल मिलेंगे 5 हजार डॉक्टर
जिला अस्पतालों से प्रदेश में लगातार खुल रहे मेडिकल कॉलेजों की बदौलत आज से पांच साल बाद हर साल 5 हजार एमबीबीएस डॉक्टर्स मिलने लगेंगे। क्योंकि कॉलेजों की संख्या बढ़ने के साथ एमबीबीएस सीटों की संख्या भी बढ़कर 5 हजार तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में 13 सरकारी और नौ निजी मेडिकल कॉलेज हैं। 13 सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की 2118 और निजी मेडिकल कॉलेजों में 1650 सीटें हैं। नए मेडिकल कॉलेजों की 1050 सीटें बढ़ने से प्रदेश में एमबीबीएस की सीटों की संख्या
Special
लगेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी अनुसार इन कॉलेज के निर्माण में 325 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें 60 प्रतिशत राशि भारत सरकार की तरफ से दी गई है। जबकि 40 प्रतिशत का अंश राज्य सरकार ने खर्च किया है।
इन जिलों में खुल रहे नए कॉलेज : मंडला, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, मंदसौर और सिंगरौली में खोले जाएंगे। एक कालेज सतना में शुरू किया जाएगा। इसका भवन निर्माण का काम भी पूरा हो
किए जाएंगे अटैच केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार राज्य सरकार द्वारा खोले जा रहे नए मेडिकल कॉलेजों को जिला अस्पताल से अटैच किया जाएगा। ताकि मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ प्रेक्टिकल के लिए मरीज भी मिल सकें। पिछले वर्षों में खोले गए सात मेडिकल कॉलेज इसी नियम के आधार पर संचालित किए जा रहे हैं। आपको बता दें कि नए मेडिकल कॉलेज के लिए 300 बिस्तरों के अस्पताल की जरूरत होती है। अस्पताल के निर्माण में खर्च बहुत ज्यादा बढ़कर 4818 हो जाएंगी। बढ़ जाता है, ऐसे में इन कॉलेजों को जिला अस्पताल संबंद्ध किया जाएगा। इससे एक तरफ जहां सरकार का खर्च बचेगा, वहीं मेडिकल कॉलेजों को
रेफर किए जाने पर बहुत हद तक कंट्रोल हो सकेगा। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर मेडिकल सुव्यवस्थित अस्पताल मिल जाएगा। कॉलेजों पर मरीजों का भार कम होगा। नए कॉलेजों से निकलने वाले नए डॉक्टर्स को बांड सेवा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में काम करना होगा, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुदृण होंगी।
बदल जाएगा प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा: 20 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू होने से प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा बदल जाएगा।
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