Basic computer,fundamental computer ,

 कंप्यूटर में दो प्रकार divices  जुड़े होते है एक इनपुट डिवाइस और आउटपुट डिवाइस 

1.input devices

2. output devices


part 1 of fundamental of computer

Input Devices:

 Input Device का प्रयोग कम्प्यूटर में कोई भी जानकारी इनपुट करने के लिये प्रयोग किया जाता है कम्प्यूटर मे इनपुट के रूप में निम्न लिखित डिवाइस प्रयोग की जाती है।

·         Key board
·         Mouse
·         Bar code reader
·         Digital camera
·         EE Optical character reader
·         Light pen
·         Trackball
·         Voice recognition
·         Digitizing tablet
·         MICR
·         Scanner
·         Optical mark reader
·         Joystick
·         Touch screen


1.1 Keyboard : Key board एक Standard input devies है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे मुख्य इंनपुर डिवाइस के रूप में किया जाता है इसके द्वारा कम्प्यूटर मे कोई भी Information को आसानीपूर्वक भेजा जा सकता है। Key board का प्रमुख कार्य यूजर लैंग्वेज के डाटा को मशीन लैंग्वेज में कन्वर्ट करके C.P.U. को प्रदान करना है। Key board मुख्यतः दो प्रकार के होते है।

a. Standard key board : जिनमे मुख्यतः 84-110 की होती है।

b. Multimedia Keyboard:

1.2 Mouse:

यह डिवाइस जी.यू.आई. एप्लीकेशन के ऊपर कार्य करने के लिये बनायी गई है। GUI (Graphical User Interface) इस डिवाइस का उपयोग डांइग बनाने के लिये या पहले से लिखी गई कमाण्ड को Run करवाने के लिये उपयोग में लायी जाती है। इस डिवाइस के अंदर एक छोटी सी बॉल होती है जिसके द्वारा माउस पॉइंटर ऊपर नीचे या लेफ्ट राईट घूमता है

1.3 Scanner :

यह डिवाइस फोटो कॉपी मशीन की तरह है। इसके द्वारा किसी भी ग्राफिकल इमेज या डाटा की डुप्लीकेट कापी तैयार कर सकते हैं। इसके द्वारा तैयार किया गया रिजल्ट सीधे कम्प्यूटर के अंदर स्टोर होता है जबकि फोटोकॉपी मशीन से तैयार किया गया रिजल्ट पेपर के ऊपर निकलता है। स्केनर के दो प्रकार हैं।

i) Hand Remote Scanner

ii) Flat bad Scanner

A) Hand Remote Scanner:   यह काफी छोटे आकार का स्कैनर होता है। इस स्कैनर को हाथ के द्वारा चलाया जाता है। इसका उपयोग छोटी-छोटी इमेज को स्कन करने के लिये किया जाता है

B) Flat bad Scanner : यह स्केनर काफी बड़े आकार का होता है। इसकी नार्मल साईज -4 रहती है और जरूरत पड़ने पर इससे भी बड़े स्केनर मार्केट में उपलब्ध है। यह स्कैनर फ्लेट रहता है। इसमें लेजर बीम अपने आप मूव करती है जिसके कारण इमेज की कापी कम्प्यूटर में स्टोर हो जाती है।

1.4 OCR (Optical Character Reader) :

यह एक स्पेशल डिवाइस है। इसका उपयोग हर जगह नहीं किया जाता है। इसके द्वारा स्पेशल कॅरेक्टर को रीड करवाया जाता है जिनको कि आप्टीकल करेक्टर भी कहा जाता है। आप्टीकल कॅरेक्टर के अंतर्गत यह डिवाइस ब्लैक पोर्शन को रीड करती है और व्हाईट पोर्शन को नहीं पढ़ती है। ब्लैक पोरशन के लिये कम्प्यूटर में लिखा जाता है और व्हाईट पोर्शन के लिये लिखा जाता है।

1.5 OMR (Optical Mark Reader) : यह एक स्पेशल डिवाइस है। जिसका उपयोग OMR Sheet के डाटा को पढ़ा जाता है। यह डिवाईस सीट के उसी डाटा को पढ़ती है जिन जगहों पर स्पेशल करेक्टर बने रहते हैं।

1.6 MICR (Magnetic Ink Character Reader] : यह भी एक स्पेशल डिवाईस है। इसका उपयोग बैंकों में किया जाता है। इसके द्वारा MICR Number को रीड कराया जाता है। इनके द्वारा चेकों/ ड्राफ्ट की वैलिडिटी को चेक किया जाता है। वैलिडिटी से तात्पर्य है कि वह ओरिजनल है या डुप्लीकेट है। एम आई.सी.आर. फॉन्ट स्टाईल यूज होती हैं।

i) E 13 B Font

ii) CMC 7 Font

i) E13B Font : यह स्टाईल यू. एस. . इण्डिया में यूज होती है। इसमें 0 से 9 तक के नम्बर होते हैं और चार स्पेशल करेक्टर प्रयोग किये जाते हैं जो कि नम्बर के आगे पीछे लगाये जाते हैं।उदाहरण -स्पेशल करेक्टर "23"

ii) CMC7 Font : यह स्टाईल यूरोप में यूज होती है। इसमें 0 से 9 तक के नम्बर, A से Z तक के अल्फाबेट तथा पाँच स्पेशल केरेक्टर यूज होते हैं।

1.7 Light Pen:  यह एक फ्री हैण्ड राईटिंग पेन है. इस पेन को यूजर अपने हाथ के मुताबिक चला सकता है। इसका उपयोग सिगनेचर करने के लिये किया जाता है। यह पेन सी.पी.यू. से कनेक्ट रहता है। इस पेन को मॉनीटर की स्क्रीन पर चलाया जा सकता है या इसको लाईट पेन पैड के ऊपर चलाया जा सकता है। इसके अंदर विद्युत की तरंगें रहती हैं। जब इसको स्क्रीन पर चलाते है तो अपने आप इमेज बनने लगती है।

1.8 Voice: यह भी एक इनपुट डिवाईस है। इसको भी कम्प्यूटर के अंदर डाला जा सकता है मगर इसके लिये माईको फोन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि voice के सिगनल एनालॉग के रूप होते है और माईक्रोफोन के द्वारा इन सिगनल को डिजिटल में परिवर्तित कर दिया जाता है।

1.9 Digital Camera : इस डिवाइस के द्वारा कम्प्यूटर के अंदर स्टोर फोटो को डाल सकते हैं। यह कम्प्यूटर के साथ भी चलाया जा सकता है और बगैर कम्प्यूटर के भी चलाया जा सकता है। इस कम्प्यूटर के चलाने के लिये पलापी डिस्क का प्रयोग किया जाता है और जहाँ कम्प्यूटर से चलाय जाता है तब कैमरा को सीधे कम्प्यूटर से जोड़ते हैं और जो भी फोटो खींची जाती है वह कम्प्यूटर में स्टोर होती है।

1.10 Web Camera: यह एक ग्राफिकल इनपुट डिवाईस है। इसके द्वारा किसी भी पिक्चर को कम्प्यूटर के अंदर डाल सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा उपयोग इंटरनेट में किया जाता है। इस कैमरा को लाईन कैमरा भी कहते हैं। क्योंकि इस कैमरे के सामने होने वाली गतिविधियों को कम्प्यूटर अंदर स्टोर करता है।

1.11 Bar Code Reader: यह एक स्पेशल डिवाईस है। इसके द्वारा बार को रीड कराया जाता है। बार कोड के अंदर आईटम का मेन्युफैक्चरिंग नम्बर आईटमकोड नम्बर छुपा रहता है। बार कोड रीडर डिवाईस बारों को रीड करने के बाद यह पता कर सकते हैं कि प्रोडक्ट ओरिजनल है या डुप्लीकेट है।

1.12 Joy Stick: Joy Stick को मैजिक स्टिक भी कहा जाता है। आज इस डिवाईस का उपयोग कम्प्यूटर में नहीं किया जाता है। इस डिवाईस में एक डन्डी रहती है जिसको गाड़ी के गेयर की तरह चारों और घुमा सकते हैं। इस डन्डी को घुमाने से स्क्रीन पर माउस पॉइन्टर घूमता था eगर इसकी जगह माउस का उपयोग होने लगा है।


part1 basic computer


2.2 Output Devices: वह डिवाईसेस जिनके द्वारा हार्ड कॉपी और साफ्ट कॉपी के रूप में रिजल्ट प्राप्त करते हैं उन्हें आउटपुट डिवाइस कहते हैं। हार्ड कापी रिजल्ट को प्रिंटर के माध्यम से निकाला जा सकता है और साफ्ट कापी रिजल्ट मॉनीटर पर देख पाते हैं।

i) Printer   (ii) Plotter

iii) Monitor (iv) speaker

2.1 Printer : यह डिवाईस हार्ड कॉपी के रूप में रिजल्ट को प्रिंट करती है। प्रिंटर को तीन प्रमुख भागों  विभाजित किया गया है।

1. Character Printer 2. Line Printer 3. Page Printer

.2.1.1 Character Printer यह प्रिंटर एक बार मैं सिर्फ एक कॅरेक्टर को प्रिंट करता है। इसमें केरेक्टर की साईज पहले से फिक्स रहती है। केरेक्टर प्रिंटर में पेन ड्रम, डेजीव्हील प्रिंटर आते हैं।

2.1.2 Line Printer:  यह प्रिंटर एक बार में पूरी लाइन को प्रिंट करता है। इस प्रिंटर में अल्पास पहले से फिल्ड नहीं रहते हैं। इसलिये यह प्रिंटर टेक्स्ट और ग्राफिकल दोनों प्रकार की जानकारी प्रिंट कर सकता है। डाटा मैट्रिक्स और इकजेट प्रिंटर लाईन प्रिंटर के अंतर्गत जाते हैं.

2.1.3 Page Printer यह प्रिंटर एक बार में पूरे पेज को प्रिंट कर देता है। इसके द्वारा टेक्स्ट और ग्राफिक दोनों प्रकार की जानकारी को प्रिंट कर सकते हैं। इस प्रिंटर के अंतर्गत लेजर प्रिंटर आते हैं।  प्रिंटर को दो कैटेगिरी में डिवाईड किया गया है।

a) इम्पैक्ट प्रिंटर  b) नान इम्पैक्ट प्रिंटर

 

(a) इम्पैक्ट प्रिंटर : वह प्रिंटर जो इनफार्मेशन को प्रिंट करते समय आवाज करते हैं उन्हें इम्पैक्ट प्रिटर कहते

 

2.2 Types of Impact Printer :

1. Dot Matrix Printer 2. Drum Printer

3. Chain Printer    4. Daisy Wheel Printer

2.2.1  Dot Matrix Printer :    इस प्रिंटर के माध्यम से टेक्स्ट और ग्राफिकल दोनों प्रकार की जानकारी प्रिंट कर सकते हैं। यह प्रिंटर इनफार्मेशन को प्रिंट करने के लिये पिन्स का उपयोग करता है। इसके द्वारा डाट्स के रूप में इनफार्मेशन प्रिंट होती है लेकिन इसकी प्रिंटिंग ज्यादा अच्छी नहीं है। इसकी प्रिंटिंग स्पीड भी काफी धीमी है क्योंकि यह एक बार में एक लाईन को प्रिंट करता है। इस प्रिंटर के अंदर उपयोग होने वाले हेड में एक साथ कई पिन लगी होती है। इन प्रिंटर की कीमत कम होती है और साथ ही रखरखाव भी कम आता है और बिना रूके बहुत लम्बे समय तक इस प्रिंटर से कार्य लिया जा सकता है।

2.2.2 Drum Printer:  इस प्रिंटर का आज उपयोग नहीं करते हैं क्योंकि इसके द्वारा सिर्फ टेक्स्ट को प्रिंट किया जा सकता है वह भी फिक्स्ड साईज में। इससे ग्राफिक्स प्रिंट नहीं कर सकते हैं। इस प्रिंटर के अंदर एक ड्रम होता है जिसके ऊपर लेटर्स लगे रहते हैं। चेन गोल घूमती है और एक हमर का उपयोग होता है जो इनफार्मेशन को प्रिंट करता है। ड्रम प्रिंटर की प्रिंटिंग स्पीड स्लो होती है। तथा प्रिंटिंग में अच्छी क्वालिटी का पेपर यूज होता है। ड्रम प्रिंटर डाट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा सस्ता होता है पर इसका मेंटेनेंस अधिक निकलता है।

2.2.3 Chain Printer : Drum Printer में होने वाली कठिनाईयों को दूर करने के लिये चेन प्रिंटर का अविष्कार किया गया। इस प्रिंटर में एक चेन लगी रहती है जिसके ऊपर लेटर्स लगे रहते हैं। चेन गोल घूमती है और एक हैमर का उपयोग होता है जिससे इनफार्मेशन प्रिंट की जाती है। हमर सीधे चैन के ऊपर टकराता है। इस प्रिंटर की गति धीमी होती है। इसके द्वारा केवल टेक्स्ट को प्रिंट कर सकते हैं ग्राफिक्स को नहीं।

2.2.4 Daisy Wheel Printer : इस प्रिंटर के द्वारा भी केवल टेक्स्ट को प्रिंट कर सकते हैं ग्राफिक्स को नहीं। इसके भाई के रहते है। इस प्रिंटर में गोल व्हील लगी रहती है जिसमे बने बनायें लगे रहते हैं। इस व्हील के पीछे एक हैमर होता है जो कि कील के ऊपर राता है, जिससे इनफार्मेशन प्रिंट होती है।

(b) Non-Impact Printer :

यह प्रिंटर जो प्रिंट करते समय आवाज नहीं करते नान-इम्पैक्ट प्रिंटर कहलाते है।

 

2.3 Types of Non-Impact Printer:

 1. Laser Printer 2. Inkjet Printer

2.3.1 Laser Printer : इस प्रिंटर के माध्यम से टेक्स्ट और ग्राफिक्स दोनों को प्रिंट कर सकते हैं। यह प्रिंस बहुत तेज गति से इनफार्मेशन को प्रिंट कर सकते हैं। इस प्रिंटर की प्रिंटिंग क्वालिटी भी सबसे अच्छी है। इस प्रिंटर के अंदर लेजर की किरणे सीधे ड्रम पर प्वाइंट करती है और फिर ड्रम के द्वारा इनफार्मेशन प्रिंट होती है। यह प्रिंटर बहुत महंगा आता है और इसकी मेंटीनेंस कीमत expensive है।

2.3.2 Inkjet Printer : इस प्रिंटर के द्वारा कलर और ब्लैक एण्ड व्हाईट दोनों प्रकार की इनफार्मेशन प्रिंट कर सकते हैं। यह प्रिंटर भी डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तरह कार्य करता है। इसके द्वारा इनफार्मेशन डॉट्स के रूप में प्रिंट होती है। यह प्रिंटर प्रिंट करने के लिये नोजल का उपयोग करता है। यह प्रिंटर डाट मैट्रिक्स प्रिंटर से ज्यादा अच्छा है लेकिन लेजर प्रिंटर से अच्छा नहीं है।

2.3 Plotters: यह डिवाइस भी प्रिंटर की तरह है मगर इसके द्वारा सिर्फ ग्राफिकल इनफार्मेशन को प्रिंट करवा सकते हैं। इस डिवाईस का उपयोग इंजीनियर आर्कीटेक्ट में करते हैं। प्लॉटर से ज्यादातर नक्शे और मशीन की डिजाईन को प्रिंट करते हैं। प्लाटर के अंदर की हैण्ड हेड लगा होता है जो आसानी से कहीं भी मूव कर सकता है। प्लाटर दो प्रकार के होते हैं

1). Drum Plotter

2). Flat Bad Plotter

2.3.1 Drum Pen Plotter: इसमें पेन प्रयुक्त होता है जो गतिशील होकर कागज की सतह पर आकृति तैयार करते हैं। कागज एक ड्रम पर चढ़ा रहता है जो आगे खिसकता जाता है। पेन कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित होता है। यह मैकेनिकल आर्टिस्ट की तरह कार्य करता नजर आता है। जैसे ही इनमें रंगों का चुनाव होता है तो वह मनमोहक लगता है। पेन की गति एक बार में एक इंच के हजारवें हिस्से के बराबर होती है।

2.3.2 Flat bad Plotter: इस प्लॉटर में कागज को स्थिर अवस्था में एक बेड या ट्रे में रखा जाता है। एक आम पर पेन चढ़ा रहता है जो मोटर से कागज पर ऊपर नीचे (दाई अक्ष) और दायें बायें (एक्स अक्ष) होता है कम्प्यूटर पेन को एक्स-वाई अक्ष की दिशाओं में नियंत्रित करता है और कागज पर आकृति चित्रित करता है

2.4 Monitor : इस डिवाइस के द्वारा साफ्ट कापी रिजल्ट प्राप्त करते हैं। मॉनीटर दो प्रकार के होते हैं जिनके द्वारा रिजल्ट देख सकते हैं

1.Color Monitor

2. Monochrome Monitor

1. Color Monitor : कलर मॉनीटर के अंदर श्री बेसिक कलर का उपयोग करते हैं. 1. रेड, 2 ग्रीन 3 ब्लू 'आज केवल कलर मॉनीटर ही उपयोग में लाये जाते हैं।

2. Monochrome Monitor: मोनोक्रोम मॉनीटर में केवल दो बेसिक कलर का उपयोग होता है। ब्लैक 2. व्हाईट मॉनीटर के अंदर इनफार्मेशन डाट्स के रूप में क्रियेट होती है। मॉनीटर के अंदर दो प्रकार की पिक्चर ट्यूब का उपयोग होता है।

1) CRT [Cathode Ray Tube]

2 ) LCD [Liquid Crystal Display)

Dot Pitch : यह कोई हार्डवेयर कम्पोनेंट नहीं है. यह एक मैथेड है जो मॉनीटर के अंदर उपयोग होता है। इसके द्वारा मॉनीटर के resolution क्वालिटी को चेक कर सकते हैं। अगर दो pixel का shape अधिक है तो मानीटर का resolution अच्छा नहीं है। डाट पिच के द्वारा हम दो pixel के shape को manage कर सकते हैं।

Refresh Rate :यह भी एक मैथेड है इसका उपयोग भी मॉनीटर में किया जाता है। इसके द्वारा मॉनीटर की स्क्रीन पर चेंज कर देख सकते हैं।

·         Video Cords : VGA [Visual Graphics Adopter]

·         SVGA [ Super Visual Graphic Adopter)

·         XGA [Extended Graphic Adopter]

इस कार्ड के द्वारा मॉनीटर का पिक्सल कलर और resolution कम्प्यूटर में सेट कर सकते हैं। हर कार्ड अलग-2 कलर्स और पिक्सल के आप्शन प्रोवाइड करता है। इन सभी में एस व्ही जी. . कार्ड सबसे अच्छा कार्ड है इसमें 256 से ज्यादा कलर होते हैं।

Interlaced / Non-interlaced :

यह एक टेक्नॉलॉजी है जिसके द्वारा मॉनीटर के resolution की क्वालिटी सुधार सकते है। इंटरलेस्ड मॉनीटर का रिजोलूशन सबसे अच्छा रहता है मगर इसका रिफेश रेट काफी धीमा रहता है। इसलिये इंटरलेस्ड मॉनीटर का उपयोग ग्राफिकल साफ्टवेयर के लिये नहीं करते हैं। जैसे एनीमेशन पैकेज जबकि नान-इंटरलेस्ड मॉनीटर भी इंटरलेस्ड के बराबर resolution प्रोवाइड करते हैं और इनका refresh रेट भी सबसे फास्ट है। इसलिये सबसे ज्यादा उपयोग नान इंटरलेस्ड मॉनीटर का होता है।

2.5 Speaker: इस ड्राईव के द्वारा साफ्ट कॉपी रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं। एक साउण्ड के रूप में मगर स्पीकर को चलाने के लिये साउण्ड कार्ड का कम्प्यूटर में होना जरूरी है। प्रोग्राम होता है जिसके अंदर किसी भी कम्पोनेंट की इनफार्मेशन लगी रहती है।

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